Thursday 22 March 2012

मुझे प्यार में मांगना नहीं आता


तुमसे दूरियों की मेरी दरख्वास्त
खारिज हो चुकी है अब
क्या करूँ ..
अब जीने का मन भी तो नहीं होता
आंखें बंद करते ही तुम याद आते हो
.... बेतहाशा

बंद आँखों में बारिश, प्यार और बेहयाई का
फर्क महसूस भी तो नहीं होता
हाँ शायद उसे तुम बेहयाई ही कहो
पर बदल गयी हूँ मैं अब
मेरे शब्दों में दैवीय प्यार
पर शायद तुम्हारे शब्दों में .. बेहयाई
हाँ एक पुरसुकून नींद आने से पहले
टूट कर बेहया प्यार करना चाहती हूँ तुम्हें
बस एक बार .. बस एक आखिरी बार
बहुत बुरी हूँ मैं .. बहुत बहुत बुरी
पर ये बुरी सी लड़की
तुमसे बहुत बहुत प्यार करती है
और मुझे प्यार में मांगना नहीं आता
जानते हो ना ..

Thursday 1 March 2012

पर मैं खुश हूँ .. बेहद खुश


दीवानापन देखा है कभी ?
नहीं देखा .. तो आज देख लो
कभी कभी यूँ भी होता है .. मेरा मन
क्यूँ ?
नहीं हो सकता क्या ?
मन है .. मन का क्या ?
एक आदिम पिपासा
सदियों से पलती
कभी तो बाहर आनी ही थी
आज आ गयी
दीवानगी के रूप में
बात को पचाना मुश्किल है
है ना .. ?

पर मैं खुश हूँ .. बेहद खुश
खुद को पाना अच्छा लगता है
कभी कभी यूँ भी बने रहना
भला सा लगता है ..

25/2/12

Saturday 11 February 2012

दो सखियों की बात ..



मह - मह महकने लगी
मैं तुम संग .. सखी
चह - चह चहकने लगी
मैं बन कर चिड़ी
कभी इत .. कभी उत
मैं इतराने लगी
ओ री सखी !!
मेरी प्यारी सखी !!


हाँ इक ख्वाब हूँ मैं
चाँद की कायनात हूँ मैं
इस जीवन की सबसे सुंदर
सौगात हूँ मैं
तेरे मन की
मेरे मन की
हर इक बात हूँ .. मैं

ओ री सखी !!
मेरी प्यारी सखी !!

गुंजन .. ८/२/१२

Monday 6 February 2012

स्त्री



मर्मान्तक पीड़ा से गुज़रना पड़ता है
दिन-रात मुझे
क्यूंकि .. स्त्री हूँ मैं
हाँ इक गुनाह हूँ मैं
समाज़ की हर सही
और गलत ज़रूरतों को
पूरा करने वाला
एक अनचाहा .. गर्भ
गर्भ में पलूं
तो .. क्यूँ ?
और जो पालूँ
तो बेटा जनूं
वाह्ह री दुनिया !!!
अज़ब है ये दुनिया
माँ को पूजे
और बेटी को दुत्कारे

हहह !!!
गलीज़, लिजलिजी
दोगली दुनिया

गुंजन .. २/२/१२

Saturday 4 February 2012

स्त्री मन की पीड़ा



पीड़ा जब अति रूप धारण करती है
तब गर्भ से जन्मती हूँ .. मैं
शब्दों का एक गोला
नर्म, गुदाज़, लिजलिजा,
मेरे खुद के खून से सना हुआ
जिसे देखने भर से
घिन्नाने लगती है ये दुनिया
पर मेरा क्या
मैंने तो कोख में पाला है इसे
खुद के खून से सींचा है इसे
कभी मेरे मन की पीड़ा को
महसूस करके तो देखो
एक बार उसे जन्मके तो देखो
प्राण तज़ दोगे
वहीँ के वहीँ ..

शब्दों को जन्मना आसान नहीं होता
खासकर तब जब लहुलुहान हो जाती हैं
हमारी संवेदनायें
तब जब खून से लिसड़ जाती हैं
हमारी भावनायें ..

गुंजन .. ४/२/१२

Tuesday 17 January 2012

प्यार तब तक पूरा नहीं होता .. जब तक मरने की जैसी ख्वाइश उसमें नहीं समाती



प्यार तब तक पूरा नहीं होता ..
जब तक मरने की जैसी ख्वाइश उसमें नहीं समाती
बस ऐसा ही करती हूँ .. मैं तुमसे प्यार

सब कहते हैं कि क्यूँ तुम हरदम मरने की बातें करती हो ?
तो मैं सोचती हूँ कि शायद उन सभी ने ..
कभी प्यार ही नहीं किया और अगर किया भी है
तो कम से कम मुझ जैसा तो नहीं .. हाँ मुझ जैसा नहीं
टूट कर चाहा है मैंने तुम को

जानते हो अब तक ना जाने कितनी बार मरी हूँ मैं .. तुमसे प्यार कर कर
पर हर बार ना जाने कौन सी चुम्बक मुझे खींच लाती है
उस धुंध से भरी मीठी-मीठी,
कुछ-कुछ तुम जैसी खुशबू वाली .. मौत की घाटी से
हाँ जब भी सोचती हूँ मैं मौत के बारे में तो ना जाने क्यूँ
सबसे पहला ख्याल तुम्हारा ही आता है .. याद आता है
तुम्हारा घर, तुम्हारी वो गली, जहाँ से हर बार गुज़रते हुए
पागलों की तरह तुम्हें ढूंढ़ते हुए, तुम्हारे घर क़ी दहलीज़ को
बस एक बार .. हाँ बस एक बार छूने क़ी ख्वाइश में ..
ना जाने कितनी बार मरती थी मैं.

याद है एक बार तुमने पूछा था कि तुम्हें मुझ में
ऐसा क्या अच्छा लगा जो तुम मुझसे प्यार करने लगीं ?
सो पहले-पहल तुम्हारा नाम ही सुना था मैंने
अलग .. एकदम अलग .. सबसे अलग
शायद प्यार ऐसे ही हो जाता है
सो सबसे पहले तुम्हारे नाम से ही प्यार हुआ था मुझे,
तब से लेकर आज तक ना जाने कितनी बार
तुम्हारे नाम को लिखा है मैंने .. जानते हो !

अब तो याद भी नहीं .. हजारों बार, लाखों बार या पता नहीं
हर जगह, जहाँ भी कुछ लिखने जैसा होता था मेरे पास
हाँ उनमें मेरी उँगलियाँ भी शामिल थीं
बस तुम्हारा नाम लिखती रहती थी मैं बेवजह, हर जगह
जैसे तुम्हारा नाम लिखने से .. तुम मिल जाओगे मुझे

बिना ज़ख्म, बिना खून के, एक बेतरतीब सा दर्द उठा करता था
लगता था .. की बस तुम आ जाओ
की बस तुम कहीं दिख भर जाओ

प्यार तो खुद ही में मरने के जैसा होता है ना .. ?

गुंजन .. १७/१/१२

Friday 13 January 2012

Reason



तुमसे प्यार करने का भी
कोई reason
हो सकता है क्या
प्यार तो बस
प्यार होता है ना
और उस पर तुमसे प्यार
हह्ह ..
किसी को भी हो जाये
तभी तो मरने के जितना करती हूँ
मैं तुमसे .. प्यार

सुनो !!
जब मरूंगी
तब तो आओगे ना
मुझसे मिलने
बिना किसी reason के
एक बार ..
बस एक आखिरी बार .. ?

गुंजन .. ११/१/१२