Thursday 22 March 2012

मुझे प्यार में मांगना नहीं आता


तुमसे दूरियों की मेरी दरख्वास्त
खारिज हो चुकी है अब
क्या करूँ ..
अब जीने का मन भी तो नहीं होता
आंखें बंद करते ही तुम याद आते हो
.... बेतहाशा

बंद आँखों में बारिश, प्यार और बेहयाई का
फर्क महसूस भी तो नहीं होता
हाँ शायद उसे तुम बेहयाई ही कहो
पर बदल गयी हूँ मैं अब
मेरे शब्दों में दैवीय प्यार
पर शायद तुम्हारे शब्दों में .. बेहयाई
हाँ एक पुरसुकून नींद आने से पहले
टूट कर बेहया प्यार करना चाहती हूँ तुम्हें
बस एक बार .. बस एक आखिरी बार
बहुत बुरी हूँ मैं .. बहुत बहुत बुरी
पर ये बुरी सी लड़की
तुमसे बहुत बहुत प्यार करती है
और मुझे प्यार में मांगना नहीं आता
जानते हो ना ..

14 comments:

  1. कोमल भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. उफ्फ्फ्फ्फ़.........प्यार में इस तड़प की कसक ...बहुत खूब

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  3. मन की गहराई से लिखी रचना

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  4. बहुत ही बढ़िया

    नव संवत की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    सादर

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  5. प्यार में इतनी तड़प.........
    प्यार की पवित्रता को दर्शाती हुई बेहद सुन्दर रचना |

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  6. गुंजन जी
    सस्नेहाभिवादन !

    …क्योंकि मुझे प्रेम कविताएं बहुत पसंद हैं ; मैं प्रेम कविताएं ढूंढता रहता हूं … विशेष रूप से कवयित्रियों की लिखी प्रेम कविताएं !

    लेकिन अक्सर कवयित्रियों की कविताओं में प्रेम कम कुंठा और शिकायतें ज़्यादा पा'कर निराशा होती है …
    आपकी रचनाओं में पाने की अपेक्षा देने की , समर्पण की प्रवृत्ति अधिक पाई है मैंने ।

    एक पुरसुकून नींद आने से पहले
    टूट कर बेहया प्यार करना चाहती हूँ तुम्हें
    बस एक बार .. बस एक आखिरी बार
    बहुत बुरी हूँ मैं .. बहुत बहुत बुरी
    पर ये बुरी सी लड़की
    तुमसे बहुत बहुत प्यार करती है
    और मुझे प्यार में मांगना नहीं आता
    जानते हो ना ..

    बहुत सुंदर !

    # आपकी अभी पुस्तक प्रकाशित हुई थी न ?
    पढ़ने का अवसर नहीं दीजिएगा ?!
    :))

    *महावीर जयंती* और *हनुमान जयंती*
    की शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  7. बहुत सुन्दर गुंजन जी...बहुत सुन्दर....

    अनु

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  8. ek behtareen rachnakara ne blog update karna chhod diya... very bad:)

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  9. बहुत सुन्दर प्यार के अहसास को
    व्यक्त करती रचना..
    मनभावन...
    :-)

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  10. गुंजन जी
    नमस्कार !

    आशा है सपरिवार स्वस्थ सानंद हैं
    नई पोस्ट बदले हुए बहुत समय हो गया है …
    आपकी प्रतीक्षा है सारे हिंदी ब्लॉगजगत को …
    :)

    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  11. अतीव सुन्दर भावों को अभिव्यक्त करती रचना.

    बधाई

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  12. This comment has been removed by the author.

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