अपनी बात को कहने का
हुनर होना चाहिए
हर किसी के पास
वो ज़हीन अल्फाज़ नहीं होते
वो शख्स जो बना था पत्थर का
उसपे किसी के आसूँ क्या असर करते
जो न आशना है खुद ही से आज तक
उसका दावा है कि वो
सफह-ए-हस्ती को जाना करते
ख़त्म हो गयी जिसके इंतज़ार में
ये ज़िन्दगी हैरां
न जाने क्यूँ अब वो
ज़िन्दगी का है साथ माँगा करते
ये बात नहीं है सिर्फ इस जन्म की
ये तो जन्मों का है नाता
तुम क्यूँ नहीं समझते
आखिर तुम क्यूँ इतने हैरां होते......?
गुंजन
fantastic aakhir aap poetry ban hi gayi hum aapke safal future ke liye kaamna karte hai. hahhahhahhahha
ReplyDeleteजबरदस्त उम्दा रचना...
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
thankuu Sanjay Bhaskarji
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