Wednesday 27 July 2011
अधूरा-सा इक नाम........
अधूरी तो मैं भी हूँ जानां
तुम्हारे नाम का साथ जो मिल जाता
तो पूर्ण हो जाती
मैं
मेरा वर्चस्व
मेरा सब कुछ
_________
कैसे लिखती उस अधूरे ख़त में
मैं अपना नाम
वो नाम - जिसे
तुमने कभी अपना कहा ही नहीं
ख्वाबों में जिसे कभी सजाया ही नहीं
नींदों में जिसे कभी पुकारा ही नहीं
आगोश में जिसे कभी लिया ही नहीं
कैसे लिख देती उस नाम को
जो तुम्हारा हो कर भी
आज तक बस मेरा ही साया है
____________
जानते हो
"गुंजन" नाम की सार्थकता तभी होती
जब होठों पर तुम्हारे - वो सजता
सीने से तुम्हारे - वो लगता
रूह में तुम्हारी - वो जा बसता
'जानां' __________
गुंजन
२५/७/११
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment