Saturday, 5 November 2011
क्या हर बार तुम्हारा देवता बनना ज़रूरी है - कृष्णा ??
कृष्ण तो स्वयं में एक प्रश्न हैं
वो भला क्या उत्तर देंगे ..
कुरुक्षेत्र में गीता का प्रवचन दे
खुद तो ईश्वर बन बैठे
पर वृन्दावन में बिलखती
राधिका को छोड़
क्या उसकी नज़र में अराध्य बन पाए !!
_________
बोलो ज़वाब दो ...... कृष्णा ??
भले ही दुनिया तुम्हें ईश्वर कह ले
भले ही वेद - पुराण तुम्हें
महानता की श्रेणी में ला खड़ा करें
पर राधिका नहीं बुला सकती
तुम्हें कभी .... दिल से - ' देव '
हाँ प्यार करती थी वो तुम्हें ... पागलों की तरह
और हर जन्म में करती भी रहेगी
पर क्या हर बार तुम्हारा
देवता बनना ज़रूरी है !!!!!!!!!!!
बोलो कृष्णा .... ??
गीता सार में आत्मा की अमरता की
दुहाई दी थी तुमने
याद है कृष्णा .. ?
तब फिर क्यूँ लौटे थे
उस उफनती यमुना के किनारे
इंतज़ार करती उस पगली राधा के पास
प्रवचन देना आसन होता है कृष्णा
पर उसे निभाना और समझ पाना - बेहद मुश्किल
.....
४/११/११
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प्रवचन देना आसन होता है कृष्णा
ReplyDeleteपर उसे निभाना और समझ पाना - बेहद मुश्किल , sach kaha , bas isi sach per gaur karna aur mujhse aankhen milana
गज़ब .......
ReplyDeleteफिर भी प्यार करने वाले ...कृष्ण और राधा के प्यार की मिसाल देते है
शब्द नहीँ हैँ क्या कहूँ , ना जाने क्यूँ आँखे नम हो गयी ।
ReplyDeleteतो आज कान्हा कटघरे मे हैं…………सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
कृष्ण ने यह भी तो कहा कि आत्मा अमर है मगर इस शरीर के अपने धर्म है , जो निभाने हैं !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअपने को समझा पाना....सबसे मुश्किल...दूसरों के लिए तो ज्ञान की धारा स्वतः निकलती है...बात तो तब समझ आती है जब अपने पे आती है....मेरे मन की बात कह दी,आपने.
ReplyDeleteबहुत खूब .. राधा का प्रेम और कृष्ण की विवशता ...
ReplyDeleteपर अनेको प्रश्न छोड़ गया ...
सच को कहती कविता।
ReplyDeleteसादर
Di, bahut hi pyaari rachna hai...
ReplyDeleteaur aapke sawaal bhi ekdam sahi...
par kya iska ek pahlu yah nahi, ki Krishna dusron ki isiliye zyada soch pate the kyonki wo jante the koi aur samjhe na samjhe parantu Raadha unhe aur unki zimmedariyon ko zaroor samjhengi, jo aap par depend hain wo jante hain ki aap unhe aur unke kaam ko samjhengi :) ... jo jitne bade pad par hota hai use utni zyada zimmedari hhoti hai...
aur fir Krishna to bhagwaan the, saari srishti ki zimedari, yadi na dekhte wo har kisi ka dard tab bhi unhe yahi sawaal jhelne padte...
सही कहा प्रिय .. जब कुछ जानते - बूझते राधा आखिर में इक स्त्री ही तो थीं
ReplyDeleteइसलिए जब कभी उनके मन का भ्रमित होना लाज़मी है .. है ना .. ?
प्रवचन देना आसन होता है कृष्णा
ReplyDeleteपर उसे निभाना और समझ पाना - बेहद मुश्किल
..sach kahna aur karna alag-agal baat hai..
sundar rachna..