Saturday 6 August 2011

युगों की व्यथा ........



क्या लिखूं कुछ सूझ ही नहीं रहा
कृष्ण की व्यथा ____ या अपनी
दोनों ही एक समान ,
एक-से बिन आत्मा के
________

आत्मा अमर है
पर जीते-जी कैसी और किसकी अमरता
औ मरने के बाद
कौन किससे मिल पाया है भला
नहीं जानती
इसलिए जीना चाहती हूँ
आज को...... आज में
_______

है ना कृष्ण....... तुम भी तो यही चाहते थे
तभी तो अंत समय वापस आये थे तुम
उसी कदम्ब वृक्ष के नीचे
अपनी 'सखी' के पास
उसके 'कनु' बन कर
जिसकी रतनारी कलियों को
बिखेर देते थे तुम उसकी मांग में

आत्मा अज़र है......आत्मा अमर है 
ब्रहमांड को
आत्मा की अमरता का पाठ पढ़ाने वाला
खुद बिन आत्मा के जिया
कितने बरस , कितने युग

हाह.....बहुत वक़्त बिता
अब तो आ जाओ____ कृष्णा

गुंजन
६/८/११

6 comments:

  1. रहमांड को
    आत्मा की अमरता का पाठ पढ़ाने वाला
    खुद बिन आत्मा के जिया
    कितने बरस , कितने युग
    बेहतरीन ।

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  2. प्रेम कि सत्य परिभाषा तो कृष्ण ही जानते है ..
    और कृष्ण जरुर ही आएंगे अपनी सखी के पास .....
    चाहे युग बीत जाए !!!!

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  3. आत्मा अमर है
    पर जीते-जी कैसी और किसकी अमरता
    औ मरने के बाद
    कौन किससे मिल पाया है भला
    नहीं जानती
    इसलिए जीना चाहती हूँ
    आज को...... आज में
    _______पर इस आज में सिर्फ आज होता कहाँ है ! मैं भी आज को ही जीना चाहती हूँ , कृष्ण ने भी यही चाहा था ... पर जिस आज को उन्होंने चाहा , वह तो हाथों से छिटक गया ... आज तो रोज बदलता है

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  4. ब्रहमांड को
    आत्मा की अमरता का पाठ पढ़ाने वाला
    खुद बिन आत्मा के जिया
    कितने बरस , कितने युग
    कृष्ण कथा के बिम्ब लिए , बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति, बधाई

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  5. बहुत सुंदर कविता और उसके भाव..

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  6. है ना कृष्ण....... तुम भी तो यही चाहते थे
    तभी तो अंत समय वापस आये थे तुम
    उसी कदम्ब वृक्ष के नीचे
    अपनी 'सखी' के पास
    उसके 'कनु' बन कर
    जिसकी रतनारी कलियों को
    बिखेर देते थे तुम उसकी मांग में

    बहुत सुंदर भावाव्यक्ति*******

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