Friday 12 August 2011

सखा भाव .......




ज़रूरी नहीं कि तुम्हारा साथ हो
इस आज में
बस तुम हो ..... हाँ हो
क्या ये काफी नहीं
_________

मेरे लिए
तुम्हारी छाया ही बहुत है
पागल मन को समझाने के लिए
तुम्हारे ख्याल ही बहुत हैं
अपने आज को सजाने के लिए

हाँ ........ कृष्ण
तुम्हारा ये सखा भाव ही बहुत है
इस वैतरणी को
पार करने के लिए

साथ दोगे मेरा ....... कृष्णा

गुंजन
११/८//११

4 comments:

  1. वाह ..कितनी कोमल ,प्यारे अहसासों को समेटे है ये रचना ..
    बहुत बहुत अच्छी लगी.
    जय हिंद जय भारत
    **************

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  2. सुन्दर रचना , सार्थक प्रस्तुति , आभार

    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  3. वाह! बहुत खुबसूरत.... मैं बहुत दिनों से कुछ ऐसा लिखना चाहती थी पर लिख नही प् रही थी... मुझे शब्द नही मिल रहे थे... आपने बहुत खूबसूरती से भावो को शब्दों में उतरा है... very nice....

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