Friday, 23 December 2011
हाँ किसी एक दिन वो वाकई पागल .. हो ही जायेगा
कहते हैं हर लिखने वाला पागल होता है
वाकई पागल ही होता है वो
.. नज़्म .. शेर .. कवितायें .. दोहे
पागलों की तरह ना जाने
क्या - क्या लिखता ही रहता है
या इश्क की कोई दीवानगी .. जो बेवज़ह, बेसाख्ता
उससे ना जाने क्या-क्या लिखवाती है
या शायद कोई रिसता दर्द ..
आह्ह !!!!!
या .. या शायद कोई रूहानी अहसास ..
या शायद कोई बेतरतीब पागल भटकती हुई .. आत्मा
शायद वो पागल हो जायेगा ..
हाँ किसी एक दिन वो वाकई पागल .. हो ही जायेगा
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गुंजन
२२/१२/११
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Every writer has some madness,,:)
ReplyDeleteसच्ची बातें ...!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव ...
ReplyDeletekaabile taarif paagalpan hai:-)
ReplyDeleteBahut sahi kaha.....Sundar
aur shaayad isiliye vo pagalon ki tarah likhata rahta hai....
ReplyDeleteजिस दिन से उसे इश्क हुवा पागल तो वो हो ही गया ... अब ये दीवानगी और क्या करेगी ...
ReplyDeleteअगर अपने शब्दों को दिशा ना दें ...तो ये पागलपन और बढ़ जाएँ ...
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteब्लॉग पर पहली बार आने के लिए आभार गुंजन जी
शुक्रिया आपकी टिपण्णी संजय भास्कर के लिए मूल्यवान है