Monday 14 November 2011

मृत्यु ....



मृत्यु को कितनी बार
आमंत्रित किया है मैंने
खुद भी नहीं जानती
_______

आज फिर से तुम्हारा
आह्वाहन कर रही हूँ
आओगी क्या मुझे लिवाने
मेरी मृत्यु ..... !!

.....
१४/११

5 comments:

  1. अरे ऐसी बात क्यो कर रही हैं आप? ज़िन्दगी जीने को दी है उसे हंसकर जीने की कोशिश करिये और ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करिये कि उसने ये नेमत बख्शी है हमें…………ज्यादा कहा हो तो माफ़ी चाहती हूँ।

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  2. मृत्यु का आव्हान क्यूँ किया जाय उसे जब आना है वो बिन बुलाये भी चली आएगी...

    नीरज

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  3. मृत्यु आह्वान करने से नहीं आती ... वो तो स्वयं ही बहाने से आती है ..

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  4. निशब्द कर दिया आपने....

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  5. बुलाने से .....मांगने से...तो मौत भी नहीं आती

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