Saturday, 10 December 2011
एक पाती .. पांचाली के नाम
खुद को बांटना तुम्हारी मज़बूरी थी
मैं जानती हूँ पांचाली
" जीता तो तुम्हें अर्जुन ने ही था ..
और पति रूप में वरा भी तुमने अर्जुन को ही था "
ताउम्र .. प्रेम भी तो बस तुम उसी से करती रहीं
परन्तु उसके कहे की लाज जो रखनी थी तुमने
ना माता का आदेश
ना ही पूर्व जन्म में पाया नीलकंठ से वर
कुछ भी तो ना माना था तुमने
बस अगर कुछ माना .. कुछ जाना
तो वो था पार्थ का तुमसे .. प्रथम अपने लिए कुछ मांगना
और उन्होंने माँगा भी क्या ?
तुमसे .. तुमको ..
हा रे !!!!!!
ये धरती क्यूँ ना फट गयी .. ?
ये आसमान क्यूँ ना गिर गया .. ?
.....
निश्चय ही तुम पतिव्रता थीं
तभी तो पति के कहे का पालन किया
सती थीं .. तभी तो वानप्रस्थ जाते वक़्त
सबसे पहले तुमने अपनी देह को त्यागा
.....
मैं जानती हूँ
मैं समझती हूँ सखी .. क्यूंकि मैं एक नारी हूँ
तुम्हारे मन की भाषा .. तुम्हारे तन की लाज
उसके मौन को पढ़ा है मैंने
ये तो बस तुम ही कर सकती थीं
प्रेम बलिदान मांगता है
पर तुमसे जो माँगा गया .. और तुमने जो दिया
निश्चय ही उसकी कोई व्याख्या नहीं ..
तभी तो आज तक तुमसा ना कोई हुआ है
और ना ही होगा .. मेरी प्रिय सखी !!
गुंजन
१०/१२/११
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बहुत सुन्दरता से नारी मन के भावो को संजोया है।
ReplyDeleteसंवेदनशील अहसासों से रची बसी कविता, गहराई का अहसास करती है बधाई
ReplyDeleteतभी तो आज तक तुमसा ना कोई हुआ है
ReplyDeleteऔर ना ही होगा ...
वाह! बहुत सुन्दर भाव व शब्द विन्याश!
पांचाली के प्रेम की...त्रासदी !!
ReplyDeletenaari man kii pidha........bahut khub...umdaa
ReplyDeleteआपकी सुन्दर प्रस्तुति तो पढकर गुंजन कर रही है मन में,गुंजन जी.
ReplyDeleteसंगीता जी की हलचल में सजी,यह बहुत ही अच्छी लगी.
प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
गहन अभिव्यक्ति...... स्त्रीमन का गहरा चित्रण
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा विषय चुना आपने और उस पर बहुत अच्छी रचना..आभार
ReplyDeletewelcome to my blog :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ..!
गहन चित्रण... सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसादर आभार....
गुंजन जी कमाल की रचना
ReplyDeleteयाज्ञसेनी को आजतक कितनो ने ऐसे समझा होगा? बहुत ही सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत गहरी ... नारी मन की परतों को ख्जोलती लाजवाब कृति ...
ReplyDeletegunjan...
ReplyDeleteapki kai rachnaayen padh dali hain...!
comment(tippani) karne ka man nahin ho raha hai...bas shbdon ko kahin bheeter tak mahsoos kar rahi hun...!!
maaf karen....