Tuesday 22 November 2011

इंतज़ार ही रहो तो अच्छा है ..



ना !!!!!!!
तुम सपना .... न बनना
सपने रात के बीतते - बीतते
टूट जाते हैं.....
बादल भी ना बनना
इक बार बरस के
वो भी चूक जाते हैं
इंतज़ार ही रहो तो
.. अच्छा है
क्यूंकि वो कभी -
कहीं नहीं जाता
हरदम साथ रहता है
" तुम " बन कर
तुम्हारा कभी ना ख़त्म होने वाला
इंतज़ार बन कर

हाँ .. मुझे है तुम्हारा इंतज़ार
हमेशा की तरह
ख्वाबों में ही सही
पर तुम्हें पाने का .... इंतज़ार !!

गुन्जन
३/१०/११

7 comments:

  1. खूबसूरत प्रस्तुति

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  2. वाह सोच को क्या खूब आयाम दिया है।

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  3. गजब की सोंच, क्या बात है, बधाई .......

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  4. इंतज़ार ही रहो तो
    अच्छा है..
    इस इंतजार में बहुत दर्द होता है............|
    फुर्सत में कभी इस ब्लॉग पर भी तशरीफ़ ले आइयेगा..
    पता है...
    http://teraintajar.blogspot.com/

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  5. बहुत प्यारी रचना..मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है..

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