Thursday, 20 October 2011

कैनवास



कितने चेहरे आये
मेरी जिंदगी के
कैनवास में
पर तेरे वज़ूद के सिवा
किसी और में
भर ही नहीं पाई
अपनी मोहब्बत के
रंग ..... मैं

गुंजन
२७/९/११

10 comments:

  1. yah rang har sanche mein bhare bhi nahi ja sakte... kai baar to sare saanche khaali rah jate hain !

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  2. सुन्दर अभिवयक्ति.....

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  3. वाह ...बहुत बढिया।

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  4. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  5. कितने चेहरे आये
    मेरी जिंदगी के
    कैनवास में
    पर तेरे वज़ूद के सिवा
    किसी और में
    भर ही नहीं पाई
    अपनी मोहब्बत के
    रंग ..... मैं ्…………क्या बात कही है……………कुछ रंग किसी खास आसमान पर ही खिलते हैं।

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  6. वाह ....बहुत सुन्दर

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  7. बहुत-बहुत सुन्दर !!

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  8. kuch rang ase hi hote hain.sundar rachna

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  9. बहुत हि सुन्दर!
    भावनात्मक!

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