Saturday, 22 October 2011

कृष्ण - कृष्ण कहलाऊँ



खुद को राधा कह पाऊँ
वो श्रेष्ठता कहाँ से लाऊँ
इतना तुम्हें चाहूँ
फिर भी ना तुम्हें पा पाऊँ .. ?

तुम्हारे नाम का सुमिरन करती
मैं तुम सी बन जाऊँ
ऐसा अब मैं क्या करूँ .. ?
जो स्वयं भी -
कृष्ण - कृष्ण कहलाऊँ

गुँजन
२१/१०/११

8 comments:

  1. वाह गुंजन जी वाह्…………मेरे मन के भावो को आपने शब्द दे दिये…………आभार्।

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  2. राधा कृष्ण...के प्रेम का ....श्रेष्ठ चित्रण

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  3. तुम्हारे नाम का सुमिरन करती
    मैं तुम सी बन जाऊँ
    ...ekkakar hone ki aaturta hi prem ke gahrayee hai..
    sundar prastuti..

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  4. jab naam sumiran ban jaye .... phir main kya aur tum kya !

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  5. सुन्दर प्रस्तुति
    परिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं

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  6. कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 20 दिनों से ब्लॉग से दूर था
    देरी से पहुच पाया हूँ

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  7. सुन्दर भावाभिवय्क्ति.....

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