इश्क यूँ ही नहीं मिलता हर एक को ढोनी पड़ती है खुद ही की लाश .. जन्म दर जन्म
वाह गुंजन जी वाह्…………मेरे मन के भावो को आपने शब्द दे दिये…………आभार्।
राधा कृष्ण...के प्रेम का ....श्रेष्ठ चित्रण
तुम्हारे नाम का सुमिरन करती मैं तुम सी बन जाऊँ ...ekkakar hone ki aaturta hi prem ke gahrayee hai..sundar prastuti..
jab naam sumiran ban jaye .... phir main kya aur tum kya !
सुन्दर प्रस्तुतिपरिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं
कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 20 दिनों से ब्लॉग से दूर थादेरी से पहुच पाया हूँ
सुन्दर भक्तिमय रचना
सुन्दर भावाभिवय्क्ति.....
वाह गुंजन जी वाह्…………मेरे मन के भावो को आपने शब्द दे दिये…………आभार्।
ReplyDeleteराधा कृष्ण...के प्रेम का ....श्रेष्ठ चित्रण
ReplyDeleteतुम्हारे नाम का सुमिरन करती
ReplyDeleteमैं तुम सी बन जाऊँ
...ekkakar hone ki aaturta hi prem ke gahrayee hai..
sundar prastuti..
jab naam sumiran ban jaye .... phir main kya aur tum kya !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteपरिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं
कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 20 दिनों से ब्लॉग से दूर था
ReplyDeleteदेरी से पहुच पाया हूँ
सुन्दर भक्तिमय रचना
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिवय्क्ति.....
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