Wednesday, 10 August 2011

मैं .....




साथ साथ मिलकर चलना ही जीवन को पाना है
ये बात सच है ...... पर सही हो
ये ज़रूरी तो नहीं

कई बार ज़िन्दगी अकेले गुज़ारने को भी कहते हैं
_______

खुद में .... खुद को जीने को भी कहते हैं
एक सांस ..... खुद के लिए लेने को भी कहते हैं
हाँ तुम्हारे साथ चलकर
मैंने इस दुनिया को पाया है
औ इससे जुडी हर ख़ुशी को भी

पर जीवन को पाया
खुद को .... खुद में जी कर
खुद के लिए .... एक नए सिरे से .... खुद को गुन कर
अपने लिए कुछ अनदेखे सपनों को .... बुन कर
अपनी ज़मीं अपना-आप खुद .... चुन कर

तो क्या ये जीवन को पाना नहीं ......?


गुंजन
10/8/11

5 comments:

  1. अवश्य यह जीवन का पाना ही हैं | जीवन की व्याख्या सुंदर रचना , बधाई

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  2. पर जीवन को पाया
    खुद को .... खुद में जी कर
    खुद के लिए .... एक नए सिरे से .... खुद को गुन कर
    अपने लिए कुछ अनदेखे सपनों को .... बुन कर
    अपनी ज़मीं अपना-आप खुद .... चुन कर
    beshak... ise paana kahte hain aur sabse badi baat hai bhawnaaon kee pagdandiyon ko adhura nahi rahne dena

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  3. bahut khoobsurti ke saath bhawnaon ko sanjoya hai......

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  4. भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  5. खुद में .... खुद को जीने को भी कहते हैं
    एक सांस ..... खुद के लिए लेने को भी कहते हैं
    हाँ तुम्हारे साथ चलकर
    मैंने इस दुनिया को पाया है
    औ इससे जुडी हर ख़ुशी को भी

    sundar kavita..:)

    http://aarambhan.blogspot.com/2011/08/blog-post_12.html

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