सम्बन्ध क्या होते हैं - नहीं जानती
रिश्ते क्या होते हैं - ये भी नहीं जानती
बस अगर कुछ जाना है
इस छोटे से जीवन में
तो वो निरा-कोरा एक शब्द है___ प्यार
इसी शब्द को लेकर जी है
ये छोटी-सी मकड़ ज़िन्दगी
हाँ जाले भी बुने हैं
मन - भर कर बुने हैं
______
क्यूंकि इसके सिवा
कुछ कर भी तो नहीं सकती थी
कुछ और करने को बचा भी तो नहीं था
तुम बिन __ कृष्ण
गुंजन
४/८/११
वह ..बिलकुल अलग भक्तिभाव...
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
bahut hii sundar
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति..
ReplyDeleteभक्ति और प्रेम से भरी हुई कविता .
ReplyDeleteबधाई
अद्भुत...क्या कहूँ ? मौन कर दिया आपकी रचना ने...
ReplyDeleteनीरज
सुन्दर रचना .......
ReplyDeleteकिशना के प्रति अनोखे ढंग से भक्ति दिखाती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको /
ReplyDeleteplease visit my blog.
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खूबसूरत रचना ..कृष्ण मय करती हुई
ReplyDeleteगजब
ReplyDeleteअपनी भावनाओं को बहुत खूबसूरती से श्री कृष्ण के सामने व्यक्त करती खूबसूरत रचना |
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