तुम्हारे लिए .......
इश्क यूँ ही नहीं मिलता हर एक को ढोनी पड़ती है खुद ही की लाश .. जन्म दर जन्म
Wednesday, 29 June 2011
मुद्दत.......
ये मुद्दत का
आसमान भी
कितना अंतहीन होता है
मैं जितनी मिटाती हूँ
लकीरें इसकी
वो उतना ही
विस्तृत होता जाता है......
गुंजन
29/6/11
Wednesday
1 comment:
महेन्द्र श्रीवास्तव
30 June 2011 at 02:14
क्या बात, बहुत सुंदर
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क्या बात, बहुत सुंदर
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