Thursday, 30 June 2011

सावन.....


वो सावन के मौसम में गाना बजाना
मेहंदी से अपने हाथों को सजाना
वो झूले से महकती, अमुआ की डाली
कहाँ खो गयी वो अम्मा की गाली
कि जिससे सज़ा था बचपन हमारा
बड़ा ही प्यारा था, सफ़र वो सुहाना
न सखियाँ ही रही, अब वो पुरानी
प्यारा झुला भी बन गया
बीते बचपन की कहानी.........

गुंजन
29/6/11
Wednesday

1 comment:

  1. सावन का मौसम और झूले...बहुत प्यारी रचना है आपकी...

    नीरज

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