Friday, 1 July 2011

क़वायद......

न ख़ुशी ही हमें जीने देती है
न ग़म की क़िताब ही कभी पूरी होती है
कब मिलेगी निज़ात
इस मतलबी दुनिया से "गुन्जन"
आखिर क्यूँ ज़िन्दगी की क़वायद
कभी ख़त्म नहीं होती है........?

गुन्जन
1/7/11
Friday

3 comments:

  1. गुंजन जी ( संबोधन और अभिवादन यथा योग्य )ज़िंदगी चीज ही कुछ ऐसी है कभी कभी तो इसको समझने में उम्र निकल जाती है , मुबारक हो

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  2. उम्दा गुंजन जी

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