इश्क यूँ ही नहीं मिलता हर एक को ढोनी पड़ती है खुद ही की लाश .. जन्म दर जन्म
Friday, 1 July 2011
क़वायद......
न ख़ुशी ही हमें जीने देती है
न ग़म की क़िताब ही कभी पूरी होती है
कब मिलेगी निज़ात
इस मतलबी दुनिया से "गुन्जन"
आखिर क्यूँ ज़िन्दगी की क़वायद
कभी ख़त्म नहीं होती है........?
गुंजन जी ( संबोधन और अभिवादन यथा योग्य )ज़िंदगी चीज ही कुछ ऐसी है कभी कभी तो इसको समझने में उम्र निकल जाती है , मुबारक हो
ReplyDeletebahut achha likha hai gunjan
ReplyDeleteउम्दा गुंजन जी
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