क्या ईश्वर के सिवा
कहीं कुछ और नहीं
क्या मैं और तुम नहीं
नहीं हूँ मैं कोई आत्मा
न ही तुम कोई परम-आत्मा
मैं तो बस मैं हूँ
और तुम........
तुम तो कहीं हो ही नहीं
मुझसे ही जन्मे हो तुम
मुझ में ही समाये हो तुम
जो मैं हूँ तो तुम हो
जो मैं नहीं .......तो तुम भी नहीं
कहीं भी नहीं ........
गुंजन
५/९/११
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteआपका सरल अंदाज अच्छा लगता है.
मेरे ब्लॉग की आप फालोअर बनी,इसके लिए आपका आभारी हूँ.
अपने सुवचनों से टिपण्णी करके भी अनुग्रहित कीजियेगा मुझे.
दार्शनिकता से परिपूर्ण रचना !
ReplyDeleteबेहद गहरे अर्थों को समेटती खूबसूरत और संवेदनशील रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब्।
ReplyDeleteबेजोड़ रचना...
ReplyDeleteनीरज
बहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteअर्थों को समेटती खूबसूरत रचना......
ReplyDeleteजो मैं हूँ तो तुम हो
ReplyDeleteyahi sabse bada satya hai ..ji
dhanywaad.
thanx for cmnt Gunjan....nahi to aapke blog se vanchit rah jati ...:)
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