तुम मेरे हो ...और रहोगे
अंतिम सांस तक
मैं जानती हूँ मेरे हमनफ़ज़
पर अब ना मैं वो हूँ
और ना तुम वो रहे
फिर क्यूँ ढूंडते हो यूँ तुम मुझे
जो बीत गया..... उसे बीत जाने दो
जो बह गया...... उसे बह जाने दो
हाँ तुम्हारी चौखट पर
मैं ज़रूर आऊँगी
आ करके वहां अपने
सर को नवाऊँगी
जो साँस तुम्हारे लिए लेती थी
मैं हर लम्हा
______
उसे अंत समय
तुम्हें सौंप के जाऊँगी
गुंजन
७/९/११
बीते हुए को भी सही अर्थों में बीता हुआ कहाँ जानते हैं,हम सब.बीत जाता है गुजार नहीं पाता,अक्सर.अच्छी रचना!!
ReplyDeleteचित्र और भावों की अभिव्यक्ति दोनों सुंदर हैं ।
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
समय के साथ जाने कितना कुछ बदलता है
ReplyDeleteपर यकीनन जो तुमसे जुड़ा है
जिस पर मेरा विश्वास है
जाने से पहले
उसे तुम्हें देना मेरा अधिकार है
उसे अंत समय
ReplyDeleteतुम्हें सौंप के जाऊँगी.. bhut hi bhaavpurn rachna....
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeleteप्रेम और विश्वास की भावों से परिपूर्ण प्रस्तुति
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