Friday, 9 September 2011

अंतिम सांस ....... तुम्हारे लिए



तुम मेरे हो ...और रहोगे
अंतिम सांस तक
मैं जानती हूँ मेरे हमनफ़ज़
पर अब ना मैं वो हूँ
और ना तुम वो रहे
फिर क्यूँ ढूंडते हो यूँ तुम मुझे
जो बीत गया..... उसे बीत जाने दो
जो बह गया...... उसे बह जाने दो
हाँ तुम्हारी चौखट पर
मैं ज़रूर आऊँगी
आ करके वहां अपने
सर को नवाऊँगी
जो साँस तुम्हारे लिए लेती थी
मैं हर लम्हा
______

उसे अंत समय
तुम्हें सौंप के जाऊँगी

गुंजन
७/९/११

7 comments:

  1. बीते हुए को भी सही अर्थों में बीता हुआ कहाँ जानते हैं,हम सब.बीत जाता है गुजार नहीं पाता,अक्सर.अच्छी रचना!!

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  2. चित्र और भावों की अभिव्यक्ति दोनों सुंदर हैं ।

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  3. समय के साथ जाने कितना कुछ बदलता है
    पर यकीनन जो तुमसे जुड़ा है
    जिस पर मेरा विश्वास है
    जाने से पहले
    उसे तुम्हें देना मेरा अधिकार है

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  4. उसे अंत समय
    तुम्हें सौंप के जाऊँगी.. bhut hi bhaavpurn rachna....

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  5. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  6. प्रेम और विश्वास की भावों से परिपूर्ण प्रस्तुति

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