" प्यार "
हाँ देव
प्यार वही है
जो इस
पल - छिन
बदलती
दुनिया ने
मुझमें देखा ..
जो तुम्हारे
आमूल - चूल
अस्तित्व ने
मुझसे पाया ..
क्यूंकि -
मैं ही तो हूँ
प्यार
______
इस धरा पर
सदियों से
ठहरी हुई -
मूर्त रूप में
सिर्फ
..... मैं ही हूँ
" प्यार "
गुंजन
१८/९/११
सिर्फ
ReplyDelete..... मैं ही हूँ
" प्यार "
सुंदर प्रेममयी रचना ....
खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावमयी रचना।
ReplyDeleteखुबसूरत एहसास ...
ReplyDeleteइस धरा पर
ReplyDeleteसदियों से
ठहरी हुई -
मूर्त रूप में
सिर्फ
..... मैं ही हूँ
" प्यार " सुन्दर भाव जिन्हें बहुत ही खुबसूरत शब्दों में ढाला है आपने....
bahut khub.......pyar se pyar kii abhivyakti...
ReplyDeleteहाँ देव
ReplyDeleteप्यार वही है
........................!!!
जो खुद में प्यार हो जाए, उसका हर अंदाज जुदा होता है
ReplyDeleteप्यार को संज्ञा बना दिया ...क्रिया से ऊपर उठा दिया ...सुन्दर]
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteWaah...Lajawab. Chitr kmaal ka hai.
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