Friday, 16 September 2011
मौन के भी शब्द होते हैं
हाँ मौन के भी "शब्द" होते हैं
और बेहद मुखर भी
चुन -चुन कर आते हैं ये उस अँधेरे से
जहाँ मौन ख़ामोशी से पसरा रहता है
बिना शिकायत -
बैठे-बैठे न जाने क्या बुनता रहता है .. ?
शायद शब्दों का ताना-बना
और ये शब्द विस्मित कर देते हैं
तब.... जब वो सामने आते हैं
प्रेम की एक नयी परिभाषा गढ़ते हुए
अथाह सागर ... असीमित मरुस्थल ... जलद व्योम
न जाने कितना कुछ
अपने में समेटे हुए .. छिपाए हुए
ओह ...... !!
जब सुना था उन्हें .... तब रो पड़ी थी मैं
हाँ मौन के भी शब्द होते हैं
और बेहद मुखर भी
कभी सुनना उन्हें
रो दोगे तुम भी ...... जानती हूँ मैं
अभी भी कितना कुछ समेटे हैं अपने भीतर
भला तुम क्या जानो .. ?
गुन्जन
१६/९/११
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सिर्फ़ मौन के ही शब्द होते हैं जिन्हे मौन ही गुनता है और मौन ही सुनता है।
ReplyDeleteमौन अक्सर खामोशी से मुखरित होता है..अच्छी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteband rhi aankhen, par mine dekha
ReplyDeleteBoond boond ghat'ta jeevan ka mela. mela.
जो सुना अनसुना हमारे ख्यालों में प्रसव पीड़ा के साथ पन्नों पर उतरता है ... मौन ही तो है , जो गर्भनाल की तरह जुड़ा होता है
ReplyDeletesach hi .....maun jyada mukhar hota hai...excellent gunjan
ReplyDeleteअभी भी कितना कुछ समेटे हैं अपने भीतर
ReplyDeleteभला तुम क्या जानो .. ?गुंजन जी बहुत ही सुन्दर भावाभिवय्क्ति की है आपने....
चीखते हुवे ये मौन के स्वर ...
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब लिखा है आपने ... अध्बुध बिम्ब सजाया है ...
...बहुत सुंदर बहुत अच्छी लगी.....
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