इश्क यूँ ही नहीं मिलता हर एक को ढोनी पड़ती है खुद ही की लाश .. जन्म दर जन्म
Wednesday, 21 September 2011
तुम्हारे लिए .......
रात होते ही
सितारों को टांग देती हूँ " मैं "
आसमान में हाथ बढ़ा कर
तुम्हारे लिए .......
मैं नहीं तो मेरे दुपट्टे के
सितारे ही सही
कोई तो हो जिनसे लिपट कर
तुम चैन की नींद सो पाओ .....
वाह्……………सुन्दर भाव्।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसुन्दर....वो भेज देता है चाँद को...आपके पास...!!
ReplyDeleteइस सोच को तुम प्यार कहो या एहसासों का रिश्ता , पर है- तुम्हारे लिए
ReplyDeleteगहरे रूमानी एहसास ... लाजवाब ...
ReplyDeleteखूबसूरत ख्याल
ReplyDeleteबहुत ही कोमल एहसास ....
ReplyDeleteसुंदर प्रेममयी रचना अच्छी लगी
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