Wednesday, 21 September 2011

तुम्हारे लिए .......



रात होते ही
सितारों को टांग देती हूँ " मैं "
आसमान में हाथ बढ़ा कर
तुम्हारे लिए .......
मैं नहीं तो मेरे दुपट्टे के
सितारे ही सही
कोई तो हो जिनसे लिपट कर
तुम चैन की नींद सो पाओ .....

गुंजन
१६/९/११

8 comments:

  1. वाह्……………सुन्दर भाव्।

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  2. बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

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  3. सुन्दर....वो भेज देता है चाँद को...आपके पास...!!

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  4. इस सोच को तुम प्यार कहो या एहसासों का रिश्ता , पर है- तुम्हारे लिए

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  5. गहरे रूमानी एहसास ... लाजवाब ...

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  6. बहुत ही कोमल एहसास ....

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  7. सुंदर प्रेममयी रचना अच्छी लगी

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